પૃષ્ઠ:Nitya Manan.pdf/૧૩

વિકિસ્રોતમાંથી
આ પાનું પ્રમાણિત થઈ ગયું છે.

ऐसा सोचो कि ग़रीब आदमी तुम्हारो हालतमें क्या कर सकता है। उसकी पत्नी मर जाय तो वह दुगुना काम करेगा। वह भी ईश्वरका भक्त है । भीतरका आनन्द ईश्वरका काम करनेसे ही पैदा होता है । हम सब अपनेको ग़रीबकी हालतमें रख दें । बहरेपनको ईश्वरकी बख्शिश समझो । एक क्षण भी बग़ैर कामके रहना ईश्वरकी चोरी समझो । मैं दूसरा कोई रास्ता भीतरी या बाहरी आनन्दका नहीं जानता हूँ ।

सबसे अच्छा तरीका तुम्हारे लिए २० ता० मनानेका तो यह है कि तुम सारा दिन सूत कातते रहो, या अपनी रुचिके अनुसार आश्रमके कोई भी काममें लगे रहो, और उसके साथ रामनामको जोड़ दो ।

( ग़रीबोंको खिलाना) बिलकुल गै़रज़रूरी है । जिन्हें सचमुच ज़रूरत हो, उन्हें तुम भले ही कुछ दे सकते हो ।

१९-१०-’४४
 
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